माँ और बच्चे पर हिंदी में लघु कहानी - Short story in hindi on mother and baby
नमस्ते दोस्तों स्वागत है हमारे ब्लॉग पर आज हम आपके लिए मातृ प्रेम पर के नैतिक कहानी लेकर आए हैं। दोस्तो यह कहानी हेनरी नाम का एक छोटा सा बच्चा का है। जो अपनी मां का निस्वार्थ भाव से सेवा करता है।
हेनरी का मातृ प्रेम - A moral story on maternal love in Hindi
एक गरीब विधवा का हेनरी नाम का एक छोटा पुत्र था। वह बहुत ही प्यारा बच्चा था। प्रतिदिन मां बच्चे को तैयार करके काम पर जाती थी और शाम को काम समाप्त कर भोजन लेकर घर आती थी। बच्चा दिन भर अपना और घर का ख्याल रखता था। साफ सफाई करता तथा सभी वस्तुओं को यथावत रखा करता था। घर के चारों ओर के बगीचों की भी देखभाल किया करता था। घर के सामने ही एक बड़ी पहाड़ी थी और उसके बगल में एक नदी बहती थी। वहीं बैठकर मां और पुत्र अपना खाली समय व्यतीत किया करते थे।
एक दिन अचानक हेनरी की मां बीमार हो गई। हेनरी परेशान हो गया वह न तो किसी वैध को जानता था और ना ही उसके पास इतने पैसे थे। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। सोचते-सोचते उसे एक विचार आया वह एक बाल्टी लेकर दौड़कर नदी पर गया और ताजा पानी लाकर मां को पिलाया। मां को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं था। जो कुछ बचा हुआ था उसने स्वयं खा लिया मां सो गई तो उसके साथ वह भी सो गया। कई दिनों तक यही क्रम चला पर प्रतिदिन मां की दशा बिगड़ती ही गई। वह स्वयं बस बगीचे के कुछ फल खाकर जीवित था।
मां धीरे-धीरे कमजोर होती गई और एक दिन चेतना रहित हो गई। अब तो वह हेनरी को पहचान भी नहीं पा रही थी। हेनरी घबराकर रोने लगा। उसे ध्यान आया कि परियां जरूरतमंद बच्चों की सहायता करती है। अपनी आंखें बंद कर उसने परियों को याद किया, “है अच्छी परियां, कृपया मेरे पास आइए। मेरी सहायता कीजिए। मेरी मां बहुत बीमार है उनकी रक्षा कीजिए।”
अगले ही पल उसे एक प्रकाश पुंज दिखाई दिया। और उसमें से एक परी निकलकर उसके सामने खड़ी हो गई। प्यार से उसने हेनरी को थपथपाई और कहा, “प्यारे हेनरी, चिंता मत करो। कहो मैं तुम्हारी क्या सहायता कर सकती हूं।”
सुबकते हुए हिलेरी ने कहा, हे परी मां, मेरी मां को देखिए वह कितनी बीमार है। मेरा इस संसार में कोई नहीं है। आप इन्हे ठीक कर दीजिए।
परी ने कहा, “प्रिय बच्चे, मैं तुम्हारी मां को नहीं बचा सकती, तुम ही उसे बचा सकते हो। परी की बात से हतप्रभ हेनरी ने पूछा, पर कैसे? परी ने कहा, मैं जैसा कहूं तुम वैसा ही करो। हेनरी ने तुरंत कहा, कहिए मैं क्या कर सकता हूं? अपनी मां को बचाने के लिए मैं सब कुछ करूंगा।
परी ने कहा, वह सामने पर्वत दिख रहा है उसकी चोटी पर तुम्हें कुछ दुर्लभ जड़ी बूटी मिलेगी उन्हें तोड़कर ले आओ उसका रस निकालकर अपनी मां को पिलाओ, उसकी बीमारी दूर हो जाएगी।
पल भर को हेनरी ने कुछ सोच कर पूछा “पर परी मां, मै मां को इस दशा में छोड़ कर कैसे जाऊं?
परी ने उसे सांत्वना देते हुए कहा, हेनरी चिंता मत करो। तुम जब तक वापस नहीं आओगे उसे कुछ नहीं होगा पर एक बात है, तुम्हारे मार्ग में बहुत सारी कठिनाइयां आएगी।
फिर हेनरी ने कहा, “हे परी, यदि मैं अपनी मां को छोड़कर जा सकता हूं तो अवश्य जाऊंगा। मैं अपनी मां की रक्षा के लिए किसी भी मुसीबत का सामना करूंगा, मुझे बस मां को ठीक करना है। पर वहां जाकर मैं उन जड़ी बूटियों को कैसे पहचानूंगा?
परी ने कहा, मैं तुम्हारे कान में जो बताती हूं उसे तुम चोटी पर पहुंचने के बाद बोलना। वह जड़ी-बूटी जिस परी की है वह आकर तुम्हें स्वयं वह बूटी दे देगी। उसे बता देना कि मैंने तुम्हें यह लाने भेजी हूं।
अगले ही पल परी का धन्यवाद कर हेनरी बूटी लाने निकल पड़ा परी ने आशीर्वाद देकर उसे विदा किया।
मार्ग में आई हुई सभी मुसीबतों को दूर करता हुआ हेनरी पर्वत की चोटी पर पहुंच गया। परी मां का आशीर्वाद जो उसके साथ था। वहां पहुंच कर उसने परी से बूटी के लिए प्रार्थना की और परी ने जो कान में कहा था वह बोलने लगा। अचानक प्रकाश पुंज से एक परी प्रकट हुई। हेनरी ने अपने आने का प्रयोजन बताया और परी ने उसे वह जड़ी-बूटी लाकर दे दी।
परी को धन्यवाद देकर बूटी लेकर हेनरी वापस घर आया।
बूटी का रस निकालकर अपनी मां को पिलाया। कुछ ही घंटों में मां की हालत में सुधार होने लगा। और धीरे-धीरे वो ठीक हो गई। मा ने परी को सहायता करने के लिए धन्यवाद किया और हेनरी को गले लगा लिया।
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