स्वप्नदोष का घरेलू उपचार - स्वप्नदोष का आयुर्वेदिक उपचार - swapndosh Ka sabse asan gharelu upchar
गुठली अलग किए हुए, सूखे आंवलों को कूटकर चूर्ण बना लें। इस आंवला चूर्ण (एक भाग) और पिसी हुई मिश्री (दो भाग) सहित सुरक्षित रख ले। इसे रोजाना रात्रि को सोने से आधा घंटे पहले दो चम्मच की मात्रा में पानी के साथ ले। लगातार दो सप्ताह तक इसका सेवन करने से स्वप्नदोष से आराम हो जाता है। जिन्हे स्वप्नदोष न भी उनके लिए भी लाभदायक है। इससे वीर्यविकार जैसे वीर्य का पतला होना, शीघ्रपतन आदि दूर होने के अतिरिक्त रक्त शुद्ध होता है। इसके अलावा पांडु रोग (शरीर का पीलापन) कब्ज और सिरदर्द में लाभ होता है। नेत्रों पर भी लाभप्रद प्रभाव पड़ता है। विर्यनाश से कमजोर शरीर में वीर्यवृद्धि के साथ नई ताकत आती है और वीर्यरक्षण होता है। नोट - (आमला चूर्ण आप बाजार से खरीद सकत है या आप पतांजली स्टोर से भी आमला चूर्ण खरीद सकते हैं इसके अलावा आप ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं)।
सहायक उपचार -
1. योगासन - भुजंगासन, सर्वांगासन, वज्रासन, सिद्धासन, सूर्य नमस्कार किसी योग्य शिक्षक से अच्छी तरह सीखकर नित्य प्रात: नियमित करें।
2. अश्वनी मुद्रा - अश्वनी मुद्रा में बार-बार गुदा को उपर खींचते हुए भीतर की ओर, सिकोड़ना और छोडना होता है, जैसे घोड़े लीड करने के बाद अपनी गुदा को संकुचित और शिथिल करता है गुदा की मांसपेशियों को सिकोड़ते या तानते समय दोनों हाथो से। की फया कसकर बांधे और गुदा को ढीला छोड़ने पर मुठ्ठीया खोल दे यह क्रिया खाना खाकर न करे। इस मुद्रा को खड़े- खड़े, किसी भी सुखमय आसन या कुर्सी पर बैठ कर भी कर सकते है, अश्वनी मुद्रा के अभ्यास से स्वप्नदोष, बवासीर, नासूर, काच निकलना, गर्भाशय के बाहर निकलने, पौरुष ननाथि वृद्धि की शिकायतायते ठीक होती है।
स्वप्नदोष विशेष -
(1) पुरुष द्वारा नींद में वासटिक स्वप्न देखने या कामुक चेष्टा मात्र से अनायास उसके वीर्य का निकल जाना ही स्वप्नदोष है। स्वप्नदोष का मूल कारण गन्दे और कामोत्तेजक विचार है। अतः इससे बचने के लिए औषधियो से भी अधिक कामुक प्रवृति पर संयम की परम आवश्यकता है।
(2) विचार पवित्र रखने के साथ-साथ प्याज, बैगन, उरद की दाल रबड़ी, बांसी, तले खट्टे व चटपटे पदार्थ, चाय काफी, धूम्रपान शराब व नशीले पदार्थ, मांस अंडे, मछली, वर्कथ्रेटक फिल्में, कामुक चिन्तन, से बचे।
(3) सोने से पहले अपने महादेव का स्मरण करें
(4) सोने से 2-3 घंटे पहले शाम का भोजन ले और भूख से थोड़ा खाएँ। सादा हल्का और जल्दी पचने वाला भोजन खाए।
(5) सोने से तुरन्त पहले दूध न पीए।
(6) रात को सोते समय शीतल जल से हाथ-पांव धोकर सोए। मुत्रेंदिय को भी रोजाना ठंडे पानी से साफ करें।
(7) सोने से पहले मूत्र त्याग करे और रात को मल मूत्र त्याग की इच्छा होने पर आलस्य न करे
(8) पीठ के बल तथा पेट के बल न सोए।
(9) कब्ज न होने दे। कब्ज होने पर त्रिफला या ईसबगोल की भूसी का प्रयोग करे।
(2) विचार पवित्र रखने के साथ-साथ प्याज, बैगन, उरद की दाल रबड़ी, बांसी, तले खट्टे व चटपटे पदार्थ, चाय काफी, धूम्रपान शराब व नशीले पदार्थ, मांस अंडे, मछली, वर्कथ्रेटक फिल्में, कामुक चिन्तन, से बचे।
(3) सोने से पहले अपने महादेव का स्मरण करें
(4) सोने से 2-3 घंटे पहले शाम का भोजन ले और भूख से थोड़ा खाएँ। सादा हल्का और जल्दी पचने वाला भोजन खाए।
(5) सोने से तुरन्त पहले दूध न पीए।
(6) रात को सोते समय शीतल जल से हाथ-पांव धोकर सोए। मुत्रेंदिय को भी रोजाना ठंडे पानी से साफ करें।
(7) सोने से पहले मूत्र त्याग करे और रात को मल मूत्र त्याग की इच्छा होने पर आलस्य न करे
(8) पीठ के बल तथा पेट के बल न सोए।
(9) कब्ज न होने दे। कब्ज होने पर त्रिफला या ईसबगोल की भूसी का प्रयोग करे।
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