हिंदी में गांव की सुन्दरता पर निबंध - Essay on beauty of village in Hindi

 


Short essay on my village in hindi ।। my village par lekh 


प्रस्तावना - हमारा देश भारत गांवों का देश है। यहां की अधिकांश जनसंख्या गांवों में ही निवास करती है। भारत की अर्थव्यवस्था के विकास में कुटीर उद्योग, पशुधन, वन, मौसमी फल एवं सब्जियां इत्यादि इन सब की पूर्ति गावों से ही होती है। वर्तमान में गांव देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हमारे देश की आत्मा गांव ही है। गांव में ही मेहनतकश किसान व मजदूर निवास करते हैं जो कि देशवासियों के अन्नदाता है। किसानों के परिश्रम से जहां हमें खाद्य सामग्री मिलती है वहीं वे भारतीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं देश की खुशहाली किसानों के परिश्रम और त्याग पर निर्भर करती है। वैसे तो देश का यदि वास्तविक रूप रेखा है तो गांव में ही इसे देखा जा सकता है। इन सबके अलावा गांव हमारे सभ्यता के प्रतीक हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व यदि गांव की ओर ध्यान दिया जाता तो गांव की स्थिति आज कुछ और ही होती है।


गांव की विशेषता - शहरों की अपेक्षा आज भी गांव में प्राकृतिक सौंदर्यता अधिक है। वहां प्राकृतिक अपने ही रूप में है, उसने किसी तरह की कृत्रिमता नहीं है। गांव की सुंदरता और वहां का प्राकृतिक वातावरण सहज ही किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। शहरों के जन्मदाता भी गांव ही है। यह सत्य है कि मानव का आरंभिक जीवनकाल जंगलों और पर्वतों में बीता। इसके बाद वह समूह में रहने लगे और जहां वे लोग रहने लगे वही आस-पास कृषि आदि करने लगे। इस तरह गांव का अस्तित्व शुरू हुआ गांव में भी मनुष्य ने सभ्यता का पहला चरण रखा था। गांव से सभ्यता संपन्न होने के बाद वह धीरे-धीरे अपना रूप बदलते हुए नगर कहलाए। वास्तव में गांव मनुष्य द्वारा बसाये जाने के बावजूद फूले-फले और बने-ठने हुए हैं। जबकि नगर पूर्ण रूप से कृत्रिमता से सजाए जाते हैं। यही कारण है कि गांव किसी के भी मन को अपनी ओर सहज आकर्षित कर लेते हैं। इसके अलावा गांव का वातावरण पूरी तरह से स्वच्छ एवं सुंदर रहता है, शहरों की अपेक्षा गाव का आबो हवा पूरी तरह से स्वच्छ रहता है। 

गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी - भारती गांव सदियों से शोषित और पीड़ित रहे हैं। अशिक्षा, अज्ञान, अभाव जैसी समस्याओं से आज भी कई गांवों को दो-चार होना पड़ रहा है। सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से हालांकि गांव की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है लेकिन आज भी उनमें काफी सुधार की गुंजाइश है। हां यह जरूर है कि किसानों को अब जमीदारों का शोषण नहीं झेलना पड़ रहा है। गांवों के उद्धार के लिए सरकार द्वारा जो योजनाएं बनाई जा रही है उसका पूरा लाभ गांव को नहीं मिल पा रहा है। इसका आधे से ज्यादा हिस्सा भ्रष्ट राजनीतिज्ञ व कर्मचारी हड़प लेते हैं।



निष्कर्ष - गांवों में विकास के बावजूद वहां अपनी रूप संजोए हुए हैं। वहां परिवर्तन इतनी तेजी से नहीं हो पा रहा है। जितना कि शहरों में हो रहा है। हालांकि अब गांवों में शिक्षा के प्रसार के लिए स्कूल खोले जा रहे हैं। किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए सरकारी समितियां खोली जा रही है। इन समितियों द्वारा जहां किसानों को ऋण मुहैया कराए जा रहे हैं वहीं उनके कृषि उत्पाद खरीद कर उन्हें उचित लागत दिलाई जा रही है। गांव में मेहनतकश किसान सूरज निकलते ही अपने खेतों की ओर निकल पड़ता है। मौसम के हिसाब से बोयी गयी फसल की निराई-गुड़ाई कर फिर दोपहर में घर लौटता है। दोपहर का भोजन कर फिर वह खेतों की ओर निकल पड़ता है सूरज डूबते समय ही वह अपने घर की ओर रुख करता है। घर लौटने पर अन्य कार्य निपटाने के बाद वह गांव में बनी चौपाल पर वर्तमान राजनीति या अन्य मुद्दों पर वहां उपस्थित अन्य किसानों से वार्ता करता है। लगभग यही दिनचर्या ग्रामीण महिलाओं की भी है।
महात्मा गांधी कृत्रिमता की अपेक्षा मौलिकता के समर्थक थे। इसलिए उनका कहना था कि भारत की आत्मा गांव में बसी हुई है। इसलिए गांधी जी ने गांवों की दशा सुधारने के लिए ग्रामीण योजनाओं को कार्यान्वित करने पर विशेष बल दिया था।




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