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नमस्ते दोस्तो स्वागत है हमारे ब्लॉग पर आज हम आपके लिए एक ऐसी प्रेरणा दायक कहानी लेकर आए हैं, जिसे पढ़ने से आपके अंदर हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा। दोस्तो हम सभी लोगो के पास एक असीम ऊर्जा होती हैं। बस जरूरत है, तो उसका सही इस्तेमाल करना। तो दोस्तो इसी से सम्बन्धी एक प्रेरणा दायक कहानी आप सभी के साथ शेयर कर रहे हैं।
तुम्हारी यही कीमत है - motivational story in hindi
बहुत समय पहले एक गांव में सुरेश नाम का एक आदमी रहता था। सुरेश बहुत गरीब था, वह एक सेठ के यहां काम करता था। जो उसे बहुत कम मेहनताना देता था। जब भी सुरेश सेठ से मेहनताना बढ़ाने के लिए कहता, तो उससे सेठ बोलता तुम इतने पैसे में ही खुश रहो, तुम्हारी यही कीमत है। इस बात से सुरेश बहुत दुखी रहता था।
एक दिन वह दुखी मन से अपने घर की ओर जा रहा था। तभी उसे एक वृक्ष के नीचे ज्ञानी महात्मा ध्यान में बैठे दिखे। सुरेश चुपचाप उस महात्मा के पास जाकर बैठ गया। महात्मा को जब उसकी उपस्थिति महसूस हुई तो, उन्होंने आंखें खोली और सुरेश से पूछा?
हे सज्जन तुम कौन हो? और यहां कैसे आए, सुरेश बोलता है। महात्मा मेरा नाम सुरेश है, मैं आपसे कुछ जानना चाहता हूं। महात्मा बोले पूछो तुम क्या जाना चाहती हो? सुरेश बोला, हे महात्मा मैं आपसे अपनी कीमत के बारे में जानना चाहता हूं। कि इस संसार में मेरी कीमत क्या है। सुरेश की बात सुनकर महात्मा मुस्कुराने लगे, फिर उन्होंने दाहिना हाथ बढ़ाते हुए आंखें बंद करके ध्यान लगाया। अचानक से उनके हाथ में एक बहुत कीमती पत्थर आ गया। महात्मा ने आंखें खोली और उस पत्थर को सुरेश को देते हुए बोले, यह लो और इस पत्थर की कीमत का पता लगाकर आओ बस याद रहे कि, इसे तुम्हें बेचना नहीं है।
सुरेश वह पत्थर लेकर सबसे पहले एक आम की दुकान के पास गया। और वह उस पत्थर को दिखाते हुए कहने लगा, सुनो भाई तुम मुझे इस पत्थर के बदले क्या कीमत दे सकते हो, आम वाले ने उस पत्थर को देखकर बोला, मैं तुम्हें इसके बदले दस आम दे सकता हूं। सुरेश ने सोचते हुए आम वाले से पत्थर लेकर आगे चला गया।
फिर उसे एक आलू बेचने वाला मिला। उसने आलू वाले को पत्थर दिखाते हुए बोला, तुम मुझे इस पत्थर के बदले क्या कीमत दे सकते हो। आलू वाले ने उस पत्थर को देखकर बोला मैं तुम्हें इसके बदले दो किलो आलू दे सकता हूं। सुरेश यह सुनकर थोड़ा हैरान हुआ, और पत्थर लेकर आगे बढ़ गया।
कुछ दूर जाने के बाद उसे एक सोना बेचने वाले सुनार का दुकान दिखा। वह सोनार के दुकान में गया, उसने जैसे ही पत्थर सोनार की ओर बढ़ाया सुनार की आंखें जगमगा गई।
उसने तुरंत ही पत्थर को अपने हाथ में लिया। और सुरेश से पूछने लगा तुम्हें यह पत्थर कहां से मिला। सुरेश बोला मुझे एक महात्मा ने दिए हैं। आप मुझे इसकी क्या कीमत दे सकते हैं।
सुनार बोला मैं तुम्हें इसके पचास हजार रुपए दे सकता हूं।
सुरेश यह सुनकर बहुत हैरान हुआ। और सोचने लगा, कहां मुझे आमवाला इस पत्थर के दस आम और आलू वाला सिर्फ दो किलो आलू दे रहा था। और कहा मुझे यह सुनार वाला पूरे पचास हजार देने को तैयार है।
फिर सुनार बोला क्या सोचने लगे। क्या तुम्हारे लिए
पचास हजार कम है। तो मैं इसके तुम्हें सत्तर हजार देने को तैयार हूं। सुनार की बात सुनकर सुरेश घबरा गया। और बोला नहीं महात्मा ने इसे बेचने से मना किए हैं। यह कहकर सुरेश ने सोनार से पत्थर वापस ले लिया, और वहां से चला गया।
सुरेश वापस महात्मा के पास जा ही रहा था कि, तभी उसे एक हीरे के व्यापारी की दुकान दिखाई दिया। और वह सोचने लगा अब तक जितने लोगों को यह पत्थर दिखाया सबने इसके अलग-अलग दाम बताएं हैं। एक बार इस हीरे वाले को दिखाता हूं, देखता हूं यह क्या कहता है।
ऐसा सोचकर सुरेश हीरे वाले की दुकान में गया। जैसे ही सुरेश जौहरी को यह पत्थर दिखाया, जौहरी तुरंत ही खड़ा हो गया। उसने एक लाल रुमाल टेबल पर बिछाकर उस पत्थर को रखकर सिर झुकाने लगा। सुरेश ने यह देखा तो वह बहुत हैरान हुआ। सुरेश ने जौहरी से पूछा, आप इस पत्थर के सामने सिर क्यों झुका रहे हैं। सुरेश के जवाब पर जौहरी बोला, यह पत्थर नहीं रूबी है। अगर सारी दुनिया को भी बेच दी जाए तो भी इसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती, रूबी अनमोल है।
यह सुनकर सुरेश हैरान परेशान हो गया।
सुरेश ने जौहरी से अनमोल रत्न लेकर सीधा महात्मा के पास गया। वहां पहुंचकर महात्मा को सारी आपबीती सुनाई और कहने लगा। महात्मा मैंने आपसे अपना मूल्य पूछा था। और आपने रूबी देकर उसका मूल्य पूछने को कहा कृपया अब आप इस रहस्य से पर्दा उठाया।
इस पर महात्मा बोले, आम वाले ने इस रूबी की कीमत दस आम लगाई। वहीं आलू वाले ने दो किलो आलू। सोनार ने पचास हजार तो वही जौहरी ने इसे अनमोल रत्न बताया।
ऐसे ही मानवीय मूल्य का भी है। बेशक तुम रूबी के समान अनमोल हो पर सामने वाला तुम्हारी कीमत अपनी हैसियत और औकात के हिसाब से ही लगाएगा।
इसलिए कभी भी अपनी कीमत के बारे में मत पूछना और कोई तुम्हें बताएं तो ध्यान मत देना।
सुरेश समझ गया कि वह इस अनमोल रत्न के समान अनमोल है। फिर वह किसी से भी अपनी किस्मत के बारे में नहीं पूछा।
सीख - इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम सभी अनमोल है हमें हमेशा अपनी इज्जत करनी चाहिए।
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