शुक्रवार, 19 मार्च 2021

लघु साहसिक कहानियाँ हिंदी में - Short adventure stories in hindi

 

Hindi Short Adventure Stories of Class 7 ।।  Sahas kahani in hindi


नमस्कार मित्रो स्वागत है हमारे ब्लॉग पर आज हम आपके लिए लघु साहसिक कहानी लेकर आए हैं। जिसे पढ़ने से आपमें एक सकारातमक ऊर्जा का संचार होगा। मित्रो हम सभी के जीवन में कुछ न कुछ परेशानियाँ आती हैं। लेकिन उस समस्या के समय जो लोग धैर्य से काम करते हैं। वहीं लोग जीवन में आगे बढ़ते हैं।

श्रुति की समझदारी प्रेरणा दायक कहानी  best short story in hindi

श्रुति एक पुलिस अधिकारी की बेटी थी। वह पढ़ने में काफी तेज थी तथा कक्षा में हमेशा प्रथम आती थी। उसके पिता सरकारी आवास न मिलने के कारण शहर के छोर पर किराए के मकान में रहते थे। वहीं पास में झुग्गी बस्ती थी जहां बहुत से गरीब परिवार रहते थे। वे सब मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते थे। इसी झुग्गी की एक महिला श्रुति के घर में काम करने आती थी। उसकी दस साल की एक लड़की थी जिसका नाम अंजू था। अंजू अक्सर अपनी मां के साथ श्रुति के घर पर आती थी।

अंजू श्रुति के घर उसके साथ खेलती थी। इसलिए अंजू, श्रुति की सहेली बन गई थी। एक दिन श्रुति ने अंजू के स्कूल न जाने का कारण पूछा तो अंजू ने बताया की गरीबी के कारण वह तथा झुग्गी के अन्य बच्चे भी स्कूल नहीं जाते। उसने यह भी बताया कि उसकी झुग्गी बस्ती के बहुत बच्चे शहर के किसी पटाखा फैक्ट्री में काम करने जाते हैं। 

उसने श्रुति को यह भी बताया कि एक बार पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से उसकी बस्ती के कई बच्चे अपंग हो गए हैं। यह सब सुनकर श्रुति को बहुत दुख हुआ। उसे मालूम था कि सरकार ने बाल मजदूर पर प्रतिबंध लगा रखा है, तथा बच्चो को पढ़ाई के लिए मुफ्त व्यवस्था भी कर रखी है। शाम को पापा के घर आने पर श्रुति ने उन्हें अंजू द्वारा कही गई पूरी बात बताई तथा उसने प्राथना किया कि झुग्गी के बच्चो की पढ़ाई के लिए कुछ करे।

अगले दिन श्रुति के पापा ने पटाखा फैक्ट्री पर छापा मारकर बहुत से बाल मजदूर को मुक्त कराया तथा पटाखा फैक्ट्री के मालिक को बालश्रम कानून के उलंघन के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। अगले दिन श्रुति के पापा ने झुग्गी के सभी बच्चो का नजदीक के सरकारी स्कूल में दाखिला दिवाया तथा उनके लिए कापी किताब की व्यवस्था कराई। श्रुति बहुत खुश थी कि उसकी प्यारी सहेली अंजू भी स्कूल जाने लगी थी।

सीख - श्रुति के समझदारी के कारण झुग्गी बस्ती के बच्चो को न केवल बल श्रम से मुक्त कराया बल्कि उन सभी बच्चो को स्कूल भी भेजवाया।


साहसी चिंटू और पिंटू - Short adventure story in hindi for each one

एक बार की बात है। प्रेम नगर में चिंटू और पिंटू नाम के दो भाई अपने माता-पिता सुधा और विनीत के साथ रहते थे। एक बार सुबह के समय परिवार के सभी लोग साथ में खाना खा रहे थे। तभी उसी समय फोन बजने की आवाज आती है। चिंटू की मां जाकर फोन उठाती है। तो उन्हें पता चलता है कि उनके पिता की तबीयत अचानक खराब हो गई है। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सुधा तुरंत अपने पति विनीत से बताती है। कि मेरे पिताजी की तबीयत खराब है हमें उन्हें देखने के लिए जाना होगा।

तभी चिंटू और पिंटू भी उनके पास आते हैं। और पूछते हैं पापा क्या हुआ? तब विनीत बोला, तुम्हारे नाना जी की तबीयत अचानक खराब हो गई है। वह अस्पताल में भर्ती है। मुझे और सुधा को आज ही जाना होगा। देखो बच्चों मै पड़ोस वाले दादाजी को तुम्हारे पास सोने के लिए कह दूंगा। दोनों बच्चों ने कहा कि ठीक है पापा।

विनीत ने सबसे पहले पड़ोस के रामरतन काका के पास जाता है। और उन्हें पूरी बात बताई और बोला काका सुधा के पिता की अचानक से तबीयत खराब हो गई है। वह अस्पताल में भर्ती है तो हम लोगों का जाना जरूरी है। बच्चों की परीक्षाएँ हैं, नहीं तो उन्हें भी साथ ले जाते। सुना है आजकल एक चोरों का गिरोह शहर में आया हुआ है। अगर आप चिंटू और पिंटू के पास सो जाएंगे तो वह डरेंगे नहीं।

रामरतन काका ने कहा! तुम लोग निश्चित होकर जाओ मैं दोनों बच्चों का ध्यान रखूँगा। विनीत काका को धन्यवाद किया। रामरतन काका ने विनीत से पूछते हैं! वैसे तुम लोग कब तक वापस लौटोगें? विनीत बोला हम लोग तीन दिन बाद आएंगे।
फिर विनीत घर वापस आता है। और चिंटू और पिंटू से कहते है। देखो बच्चों मैं रामरतन काका को कहकर आया हूं। वह रात को यहाँ आकर तुम्हारे साथ सो जाएगा। यह कहकर विनीत सुधा को लेकर चला जाता है।

रामरतन काका रोज आकर उनके साथ सो जाते हैं। दो दिन तो सब ठीक रहा है। तीसरे दिन रात में काका तो सो गए और दोनों भाई साथ में पढ़ रहे थे। बस वे दोनों सोने की तैयारी ही कर रहे थे कि, तभी दरवाजे से आवाज आती है। जैसे कोई दरवाजा खोलने का प्रयास कर रहा हो। दोनों भाई जानते थे कि इस समय उनके माता-पिता नहीं होंगे। इसलिए वे ज्यादा ध्यान नहीं दिए लेकिन बच्चों को फिर से उसी तरह आवाज सुनाई दी।
तब बच्चों ने दरवाजे के होल से देखा तो उन्हें तीन चार लोग मुंह बांधे दिखे। बच्चे समझ गए कि यह पक्का चोर है। दोनों दौड़कर रामरतन काका के पास गए और उन्होंने बताया कि दरवाजे पर चोर है। चोर का नाम सुनते ही रामरतन काका डर जाते हैं। और उनके हाथ पैर कांपने लगते हैं। तब बच्चों ने सोचा कि उन्हें ही कुछ करना होगा।

तभी चिंटू के दिमाग में एक विचार आता है। वह अपने भाई को इसके बारे में बताता है। फिर चिंटू दरवाजे के पास जाता है और पिंटू खिड़की के पास जाता है। चिंटू दरवाजे पर जाकर ऐसी बात करता है, मानो वह फोन पर पुलिस से बातें कर रहा हो।
तभी चोरों की आवाज आती है सुनो जल्दी दरवाजा खोलो हम डरने वाले नहीं हैं। चिंटू करता है, हां हां मत डरो अभी पुलिस आयांगे तो अपनी हिम्मत उन्हें दिखाना। तभी पिंटू अपना खिलौना खिड़की से बाहर निकालता है। और उसमें से सायरन की आवाज निकलती है। सायरन की आवाज़ सुनते ही चोर वहाँ से तुरंत ही रफूचक्कर हो जाते है।

सीख - परिस्थिति कैसी भी हो अगर हम अपनी बुद्धि और विवेक से काम करेंगे तो हम बड़ी से बड़ी समस्याओं को हरा सकते हैं।

 

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