स्टोरी इन हिंदी - hindi story in short

नमस्ते दोस्तो आज हम आपके लिए कुछ प्रेरक प्रसंग (कहानी) लेकर आए हैं, दोस्तो आप जब किसी भी क्षेत्र में आप अपने गंतव्य मार्ग पर अग्रसर होते हैं तो उस मार्ग में हमारे सामने अनेकों प्रकार की बाधाएं आने लगती हैं, जिससे हम लोग थोड़ा हताश और निराश होने लगते हैं जिससे निश्चित मार्ग में जाने में देरी होने लगती हैं। इन सभी कठिनाइयों का सामना करने के लिए हमें एक अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं।
अब बात यहां पर अति है कि यह ऊर्जा हमें कहा से प्राप्त हो, तो आप चिंता ना करें आज हम आपके लिए कुछ ऐसी प्रेरक प्रसंग hindi story लेकर आए हैं, जो आपको आने वाली पूरी जिंदगी में एक नैतिक सिख देगी। जिससे आप हर चुनौतियों का डटकर खुशी खुशी सामना करोगे और अंततः आप उसपे विजय प्राप्त करेंगे।



स्वस्थ व सुखी होने पर एक नैतिक कहानी - hindi story majedar kahani short 


एक राजा के पास किसी वस्तु की कमी नहीं थी, पर वह सुखी नहीं थे। क्योंकि वह श्रम नहीं करते थे। बैठे-बैठे उनका भार बढ़ गया था और उनमें कई व्याधियां लग गई थी। पूरे नगर के कई वैधों ने उनकी चिकित्सा की, लेकिन उन्हें कुछ भी लाभ नहीं हुआ।
उसी नगर में एक वृद्ध व्यक्ति ने राजा के पास आकर कहा, महाराज आप यदि किसी सुखी मनुष्य का कुर्ता पहनेंगे तो आप अवश्य ही स्वस्थ हो जाएंगे। 
वृद्ध की बात सुनकर राजा ने सोचा, इतने उपाय करवाए हैं तो एक और ही सही। राजा के सेवकों ने सुखी मनुष्य की बहुत खोज की, लेकिन उन्हें कोई पूर्ण सुखी मनुष्य नहीं मिला। सभी लोगों को किसी न किसी बात का दुख था।
अब राजा स्वयं सुखी मनुष्य की खोज में निकल पड़े। बहुत खोजने के बाद वे एक खेत में पहुंचे। एक किसान अपने काम में लगा हुआ था और गुनगुनाता जा रहा था। राजा ने उससे पूछा, ‘क्या तुम सुखी हो? किसान की आँखें चमक उठी वह बोला, ईश्वर की कृपा से मुझे कोई दुख नहीं है। यह सुनकर राजा अत्यंत प्रसन्न हुआ। लेकिन समस्या यह थी कि किसान के पास कुर्ता था ही नहीं, वह तो सिर्फ धोती पहने था। श्रम के कारण उसकी देह पसीने से तर थी। राजा समझ गया कि वह पसीना ही श्रमिक का कुर्ता है। श्रम करने के कारण ही यह किसान सुखी और निरोगी है। उन्होंने आराम चैन छोड़कर परिश्रम करने का संकल्प किया। थोडे़ ही दिनों में राजा की सारी व्याधियां दूर हो गई और वह भी सुखी और स्वस्थ हो गए।

भगवान का अस्तित्व - bhagvan par ek kahani

एक बार एक व्यक्ति अपने बाल कटवाने के लिए नाई की दुकान पर गया। नाई और उस व्यक्ति के बीच बातचीत शुरू हुई। तब नाई ने कहा, 'मैं ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं करता और इसलिए आप मुझे नास्तिक भी कह सकते हैं।'
आप ऐसा क्यों कह रहे हैं?' उस व्यक्ति ने पूछा। नाई ने कहा, 'यदि ईश्वर होता, तो क्या इतने सारे लोग भूखे मरते? क्या हम बीमार होते? क्या दुनिया में इतनी हिंसा, पीड़ा या दर्द होता? मैं ऐसे निर्दयी ईश्वर की कल्पना नहीं कर सकता जो यह सब होने दे।' उस व्यक्ति ने कुछ देर सोचा और फिर कहा, 'क्या आप जानते हैं? नाई नहीं होते।' नाई ने कहा, 'आप क्या कह रहे हैं? क्या आप मुझे नहीं देख सकते? मैंने बहुत से लोगों को देखा है।
मैंने अभी-अभी आपके बाल काटे हैं।' उस व्यक्ति ने कहा, 'नहीं, कोई नाई नहीं है। अगर होते तो क्या सामने वाले दुकानदार के बाल इतने लंबे और दाढ़ी इतनी लंबी होती?’

नाई ने कहा, ‘अगर वह व्यक्ति नाई के पास बाल कटवाने नहीं जाता तो नाई उसके बाल कैसे काटेगा?’

उस व्यक्ति ने कहा, ‘आप बिल्कुल सही कह रहे हैं, यह सही बात है। इसी तरह भगवान भी होते हैं, लेकिन कुछ लोग भगवान को नहीं मानते, तो भगवान उनकी मदद कैसे करेंगे।’


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